Kavita Jha

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दिवाली #लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता -24-Oct-2022

दिवाली (छंद मुक्त कविता)

दिवाली आती है  हर साल
मनाई जाती है हर बार
कर रहे हैं तैयारी
साफ सफाई रंग पोताई
घर की सजावट
लडियाँ फुलझड़ियाँ
बम पटाखे
खील खिलौने 

और 

मिठाईयाँ
दीऐ मोमबतियाँ
नऐ कपड़े चादरें परदे
सब कुछ तो है

फिर 

वो क्या कमी

 खटकती है हमको

सब पहले से 

कितना बेहतर होता है अब

पर वो पहले वाली दिवाली

जो मनाते थे अपने छोटे से घर में

मम्मी पापा दीदी भईया संग

कितना आता था मजा 

हर त्यौहार में तब

दीवाली का तो करते थे 

पूरे साल हम इंतजार

वो मिट्टी का घरौंदा बनाना 

फिर उसको सजाना

याद आता  है अकसर 

वो पुराना जमाना

अब तो साफ सफाई

 खाना बनाना सबको खिलाना

बस इसी में 

थक जाते हैं इतना 

कि 

आतिशबाजी 

और

अपने ही घर की रौशनी

 देखने की फुर्सत कहाँ है

आप सबको दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाएं

हमारी तरफ से 

हम तो चले फिर से वो अपने
रसोईघर में

****

कविता झा'काव्या '

# लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता 

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6 Comments

Khan

28-Oct-2022 07:36 PM

Very nice 👌🌺💐

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बहुत ही सुंदर सृजन

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Mahendra Bhatt

25-Oct-2022 04:59 PM

👏👌🙏🏻

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